|| श्री कृष्ण महाराज धनी अवधुत ||
 || Chaturpata Atharvan Ved ||
|| कृष्ण अवधुत देवस्थान, मालखेड ||

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|| चतुर्पती कृष्ण अवधुत देवस्थान ||
मालखेड

                 सत् यवग का आध्यात्मीक ग्यान              
|| चतुर्पती कृष्ण अवधुत देवस्थान ||
            मालखेड, तालुका : चांदुररेल्वे , जिल्हा : अमरावती ,
            राज्य : महाराष्ट ( विदर्भ विभाग ), भारत
Malkhed Devthan Image

मालखेड यहाँ चतुर्पती कृष्ण अवधुत पंथ का १७ वे शतक मे स्थापीत, पुर्ण अवतार श्री कृष्णाजी का राउळ/देवस्थान है । मालखेड देवस्थान यहं श्री पुनाजीके परम्ं मित्र श्री इशना/इश्वर व्दारा प्रसारीत चतुर्पती कृष्ण अवधुत पंथ की एक शाखा है । इस शाखा को इसना/इश्वर का मालखेंड दांड एैसे कहाँ जाता है ।

मालखेड यह चतुर्पती कृष्ण अवधुत पंथ का इसना/इश्वर शाखा मुख्य देवस्थान है । यह देवस्थान चतुर्पती कृष्ण अवधुत पंथ के भजनी योगी, संत महात्मे भक्त ईत्यादी सबजन को प्रेरणा, स्फुर्ति और सत् शक्ती देणेवाला मुख्य शक्तिस्थल है । यहाँपर पुर्ण अवतार श्री कृष्णाजी की मुख्य बाहुली है । ईस बाहुली पर वो कृष्ण इश्वर/इसना के कार्य को साहयं करते हुऍं गुप्तरूपमे खडा है । और आगे का सत् यवग के कार्य प्रपंच का संभाल करनेके लिये ईस कलयवग मे कार्यरत् है । उनके सत् यवगके कार्य अंर्तगत वो चतुर्पती कृष्ण अवधुत पंथ के योगी, संत, सत् भक्त और भजनी को निरंतर प्रेरणा, स्फुर्ति का शक्तीपात कर रहा है । अपने सत् भक्त के घर मे जाकर उस सत् भक्त के माध्यम से सत् यवग का कार्य करने के लिये निरंतर साहयं कर रहा है । एैसी अनुभवी सत् भक्तों की धारणा है ।

१७ शतकपुर्व मे पुर्ण अवतार श्री कृष्णाजी के मुख से निकला हुऑं पौराणीक गुप्त चतुर्पता अथर्वन् वेद का चतुर्पती ग्यान संप्पन ओवी भजन का गायन मालखेड देवस्थान के जगह निरंतर हो रहा है । ईस गायन को १८ शतक के सांवंगा-विठोबा देवस्थान के गादिपती श्री पुनाजी के साथ संत श्री हेंगडुजी, संत देवमनजी, और अन्य संत, भजनी योगी, सत् भक्तजन व्दारे मिर्तलोक मे महाराष्ट के विदर्भ विभाग मे गावोगावं और शहरो मे स्थापित चतुर्पती कृष्ण अवधुत पंथ व्दारे, चतुर्पती गायन प्रेरीत कर रहे है । और पुर्ण अवतार श्री कृष्णाजी ईस पंथ के कार्य को निरंतर प्रेरणा, स्फुर्ति और शक्ती का पुरवठा कर रहे है । सत् भक्त के घरमे गुप्तरूपमे जाकर उनको अपना माध्यम बनाकर उनसे सत् यवग के कार्य करने के लिये नित साहयं हो रहे है । एैसी अनुभवी सत् भक्तों की धारणा है ।

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