|| श्री कृष्ण महाराज धनी अवधुत ||
 || Chaturpata Atharvan Ved ||
|| कृष्ण अवधुत देवस्थान, जांबरोड, यवतमाल ||

बुकमार्क बटनं

 ☰ Menu
Translate(भाषांतर) :  English(इंग्लीश) Hindi(हिंदी) Marathi(मराठी)  
 ✕  Close    


 ✕  Close    

|| चतुर्पती कृष्ण अवधुत देवस्थान ||
जांबरोड, यवतमाळ

                 सत् यवग का आध्यात्मीक ग्यान              
|| चतुर्पती कृष्ण अवधुत देवस्थान ||
            जांबरोड, यवतमाळ , तालुका : यवतमाळ, जिल्हा : यवतमाळ,
            राज्य : महाराष्ट ( विदर्भ विभाग ), भारत
Yavatmal Devthan Image

यवतमाल विभाग मे चतुर्पती कृष्ण अवधुत पंथ का जांबरोड, यवतमाल यह मुख्य देवस्थान है । चतुर्पती कृष्ण अवधुत पंथ के भजनी योगी, संत भक्तजन को प्रेरणा, स्फुर्ति, और सत् शक्ती देणेवाला इस विभाग का यह मुख्यस्थल है ।

सावंगा-विठोबा यहाँसे ज्योत लाकर इस देवस्थान मे कृष्णाजी की बाहुली स्थापीत कियी है । ईस बाहुली पर वो कृष्ण गुप्तरूपमे खडा है । और आगे का सत् यवग के कार्य प्रपंच का संभाल करनेके लिये ईस कलयवग मे कार्यरत् है । उनके सत् यवगके कार्य अंर्तगत वो चतुर्पती कृष्ण अवधुत पंथ के योगी, संत, सत् भक्त और भजनी को निरंतर प्रेरणा, स्फुर्ति का शक्तीपात कर रहा है । चतुर्पता कृष्ण अवधुत पंथ के कार्य को साहयं कर रहा है । श्री कृष्णाजीने यहाँसे कृष्णमुखका चतुर्पता अथर्वन् वेद के चतुर्पता निरंजन ग्यान संप्पन ओवी का शब्दार्थ सह निरसन स्पष्टीकरन निरसनकार के माध्यम से दिया है । वो चतुर्पती कृष्ण अवधुत पंथ के योगी, संत, सत् भक्त जन को निरंतर प्रेरणा, स्फुर्ति और सत् शक्ती देणेके लिये यहाँ गुप्तरूपमे खडा है । भक्तजनो को नित साहयं हो रहा है । एैसी ईस जांबरोड, यवतमाल शाखा की धारणा है ।

२१ वे शतक से पुर्ण अवतार श्री कृष्णाजी के मुख से निकला हुऑं पौराणीक गुप्त चतुर्पता अथर्वन् वेद का चतुर्पती ग्यान संप्पन ओवी भजन का गायन यवतमाल देवस्थान के जगह निरंतर हो रहा है । यह देवस्थान चतुर्पती गायन को मिर्तलोक मे महाराष्ट के विदर्भ विभाग मे गावोगावं और शहरो मे स्थापित चतुर्पती कृष्ण अवधुत पंथ व्दारे प्रेरीत कर रहे है । और पुर्ण अवतार श्री कृष्णाजी ईस पंथ के कार्य को निरंतर प्रेरणा, स्फुर्ति और शक्ती का पुरवठा कर रहे है । सत् भक्त के घरमे गुप्तरूपमे जाकर उनको अपना माध्यम बनाकर उनसे सत् यवग के कार्य करने के लिये नित साहयं हो रहे है । एैसी अनुभवी सत् भक्तों की धारणा है ।

२१ शतकमे ई.स. २००० से २०१७ वर्ष मे ईस पंथ के नामिक अनामिक भजन योगी भक्तजन से, चतुर्पता अथर्वन् वेद के चतुर्पता आध्यात्मीक ग्यान संप्पन ओवीयाँ और भजने का संग्रह निरसनकार ने कीया है । और ईस संग्रह के कृष्णकाल की पुराणी ओवीयाँ का शब्दार्थ सह स्पष्टिकरन, निरसन ईत्यादी लेखन कार्य ईस १७ वर्ष मे (२००० ते २०१७ तक) कृष्णकृपा से निरसनकार ने किया है ।

 || व्हीडीओ : कृष्ण अवधुती ओवी , भजने और राउळ के व्हिडीयो ||

कृष्ण अवधुती ओवी और भजने
कृष्ण अवधुती भजन मंडळे और राउळ के व्हिडीयो

 || हमें खोजें ! ||

हमें खोजें !
दिशानिर्देश : यहाँ से.. यहाँ तक..

advertise 

have a nice time !
Current page is % completed.
..