|| श्री कृष्ण महाराज धनी अवधुत ||
 || Chaturpata Atharvan Ved ||
|| चतुर्पता अथर्वन् वेद || - हिंदीं

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|| चतुर्पता अथर्वन् वेद ||
     सत् यवग का आध्यात्मीक ग्यान  

                  सावंगा-विठोबा, तालुका : चांदुररेल्वे,
          जिल्हा : अमरावती, राज्य : महाराष्ट् ( विदर्भ विभाग), भारत

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|| चतुर्पता अथर्वन् वेद ||

माहीती

चतुर्पती कृष्ण अवधुत पंथ का यह परंपरागत प्राचिन चतुर्पता अथर्वन् वेद है । शतक १७ मे हुये पुर्णावतार चतुर्पती श्री कृष्णाजी के उदर मे का यह चतुर्पता अथर्वन् वेद उनके मुख व्दारे वैदर्भियन मराठी बोली भाषा मे आवाजी जाहीर हुऑं है ।

शतक १७ से शतक २१ के आगे आवाजी ग्यान परिवर्तन प्रणाली व्दारा यह कृष्ण मुखका सत् यवग का चतुर्पती अवधुती ग्यान आजतक आया है । ईस आवाजी ज्ञान परिवर्तन प्रणाली व्दारा आया हुऑं चतुर्पता अथर्वन् वेद की ओवियाँ ,भजन और सत् यवग का चतुर्पती ग्यान ईत्यादी ग्यान यह पल्याड के अनामिक पवित्र लोक, कृष्ण अवधुत भजन मांडी/मंडले और निनावी कृष्ण अवधुत योगी व संत ईनके आवाजी लाटांव्दारे आजतक आया है । आवाजी ज्ञान परिवर्तन प्रणाली की कार्यपध्दती का आयोजन और जाहीरण का अनुसरण कृष्ण अवधुत पंथ व्दारा, श्री कृष्ण अवधुत के भक्तगण, भजनीगण और भजन मंडले सह कृष्ण अवधुती योगी और संत जनलोक कृष्णकाल से आजतक कर रहे है । और आगे भी करते रहने वाले है ।

अब ईस २१ शतकके ईस. २००० से २०१७ ईस १७ वर्षमे चतुर्पता अथर्वन् वेद का सत् यवग का आध्यात्मीक ग्यान संप्पन्न ओवियाँ और भजने ईत्यादी संग्रह निरसनकार ने किया है । चतुर्पता कृष्ण अवधुत पंथ के नामिक और अनामिक भजन योगी, संत भक्त भजनी ईनके तरफ से निरसनकार ने सत् यवग का आध्यात्मीक ग्यान संप्पन्न ओवियाँ और भजने ईत्यादी जमा करके ईसका संग्रह किया है । और ईस संग्रह मे के कृष्णकालके पुरातन ओवियाँ का शब्दार्थ सह निरसन/स्पष्टीकरन ईत्यादी लेखन कार्य ईस १७ वर्ष मे ( २००० से २०१७ ) निरसनकार ने किया है ।

चतुर्पता कृष्ण अवधुत पंथ के नामिक और अनामीक योगी, भक्तगण, भजनीगण सह ज्ञात और अज्ञात स्त्रोत ईत्यादी व्दारा प्राप्त हुये सुचित सुचना और मार्गदर्शक तत्वे व ध्यैय अनुसार इस चतुर्पता अथर्वन् वेद के पुरातन ओवीयाँ का संकलन और उनका शब्दार्थ सह स्पष्टिकरन, निरसन ईत्यादी १७ वर्षमे किया है । और यह शब्दार्थ और स्पष्टिकरन युक्त चतुर्पता अथर्वन् वेद कृष्ण अवधुत देवस्थान/संस्थाने व्दारा माघ शुध्द पंचमी दिनांक ०१.०२.२०१७ को प्रकाशित किया है ।

हमारे आदरनिय देणगीदाता के तरफ से चलाने वाला ईस चतुर्पता अथर्वन् वेद पोर्टल व्दारा आप चतुर्पता अथर्वन् वेद के संपुर्ण खंड और ओवियाँ पढ सकते है, या मोफत मे डाउनलोड कर सकते है । इस के साथ आप हमारे आध्यात्मीक पुस्तकोंका ग्रथालय विभाग व्दारा आप इंग्रजी, हिंदी, मराठी भाषाके संदर्भ ग्रंथ जैसे ०४ वेद, वेद ब्राम्हण ग्रंथे,उपवेद, ०६ दर्शन शास्त्रे और उपशास्त्रं, १०८ से ज्यादा उपनिषदे, १८ पुराणे और उपपुराणे, १८ स्मृतियाँ और सुक्ते, रामायण, महाभारत, भगवत गिता ग्रंथे, आचार्य, संत और भक्त ईनके आध्यात्मीक साहीत्य और अन्य पुरातन प्राचिन आध्यात्मीक ग्रंथे ईत्यादी सर्व पिडीएफ ग्रंथ मोफत डाउनलोड करके जैसे है वैसे मोफत वितरीत कर सकते है ।

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कृष्ण अवधुती ओवी भजने
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